Home Editor's Picks वो दौर चला गया जब आराम से नौकरियां मिलती थीं, आज आपको स्किल्ड बनना होगा तभी बाजार में टिकेंगे : डॉ प्रो. चक्रधर त्रिपाठी

वो दौर चला गया जब आराम से नौकरियां मिलती थीं, आज आपको स्किल्ड बनना होगा तभी बाजार में टिकेंगे : डॉ प्रो. चक्रधर त्रिपाठी

by Dayanand Roy

रांची : वो दौर जा चुका है जब आराम से नौकरियां मिला करती थीं, आज जब तक आप खुद में स्किल विकसित नहीं करेंगे, गुजारा चलना मुश्किल है। आप सबसे उम्मीद की जाती है कि आप अपने विषय के मर्मज्ञ होंगे।

सोमवार को ये बातें ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ प्रो चक्रधर त्रिपाठी ने कहीं। वे रांची विश्वविद्यालय के पीजी हिन्दी विभाग में साहित्य सृजन और वर्तमान परिप्रेक्ष्य विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि अपने पुरखे साहित्यकारों को देखिए, राहुल सांकृत्यायन कई भाषाओं के ज्ञाता थे, आपको एक भाषा-भाषी बनकर नहीं रहना है। आप हिन्दी के विद्यार्थी हैं। जर्नलिज्म, अनुवाद और स्क्रिप्ट लेखन का क्षेत्र आपके लिए है। आपको मौलिक चिंतन का अभ्यास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत पश्चिम से विशिष्ट है तो अपनी परिवार व्यवस्था के लिए।

हमारे यहां व्यक्ति नहीं परिवार का कांसेप्ट है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ वासुदेव प्रसाद ने विकसित भारत कैसा होगा, इसपर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि पहले जो विद्वान होते थे वे अपनी विद्वता को बेचते नहीं थे, हिन्दी में एक संत कवि हुए जो पहले गृहस्थ थे और बाद में संत बन गए। उनका नाम था कुंभनदास।

वे अकबर के समकालीन थे, अकबर ने उनकी बड़ी ख्याति सुनी तो लाव-लश्कर के साथ उन्हें बुलाने के लिए अपने मंत्रियों को भेजा, पहले तो कुंभनदास अकबर के दरबार में जाने को तैयार नहीं हुए, पर बाद में मंत्रियों के बहुत मान-मनौव्वल के बाद वहां गए। अकबर ने उनका अभिवादन किया और कहा कि आपको जो मांगना है मांग लीजिए, उनका जवाब था, मुझे कुछ नहीं चाहिए।

बाद में उन्होंने कहा- मोको कहां सीकरी सो काम, आवत जात पनहिया छूटी बिसर गयो हरिनाम

इस स्तर के संत हमारे यहां हुआ करते थे। हमारी पूंजी क्या है। ईमानदारी, चरित्र, सद्भावना और दया हमारी पूंजी है। कार्यक्रम में मंच संचालन पीजी हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ हीरानंदन प्रसाद ने किया। कार्यक्रम में विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ जंगबहादुर पांडेय तथा कई अन्य अध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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