
रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय सदस्य डॉ. तनुज खत्री ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि डीएमएफटी (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट) फंड के मामले में झारखंड के खनन प्रभावित जिलों को हो रहे नुकसान की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर है।


डॉ. तनुज ने कहा कि पहले 30% रॉयल्टी डीएमएफटी में जाती थी, जिससे खनन प्रभावित जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पर्यावरणीय सुधार के लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध था। अब केवल 10% रॉयल्टी डीएमएफटी में जाने से केंद्र सरकार की कंपनियों को लाभ हो रहा है, जबकि झारखंड के आदिवासी और माइनिंग प्रभावित इलाके के लिए धन कम पहुंच रहा है।
ऐसे में बाबूलाल मरांडी को भ्रम फैलाने के बजाय केंद्र सरकार से लीज़ की राशि बढ़ाने की बात करनी चाहिए।उन्होंने कैग रिपोर्ट(2015-2021) का हवाला देते हुए कहा कि 2015–2021 की अवधि में डीएमएफटी फंड के उपयोग में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं, और यह साफ़ है कि भाजपा सरकार (2014–2019) के दौरान, विशेषकर रघुवर दास के कार्यकाल में, डीएमएफटी घोटाले हुए थे।
बाबूलाल मरांडी बार-बार उन घोटालों का जिक्र करते हैं, लेकिन कैग रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि भाजपा की नीतियों और प्रबंधन में ही असली कमी थी।डॉ. तनुज ने जोर देकर कहा कि झारखंड सरकार पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ DMFT फंड का उपयोग कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार की नीति के कारण स्थानीय लोगों तक पर्याप्त धन नहीं पहुँच पा रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा की माँग है कि केंद्र सरकार DMFT योगदान दर में बढ़ोतरी करे जिससे खनन प्रभावित जिलों के हितों की रक्षा की जा सके।


