Home Bihar विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने की डैमेज कंट्रोल की पहल

विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने की डैमेज कंट्रोल की पहल

by Dayanand Roy

महेश कुमार सिन्हा

पार्टी के कई बड़े नेता पहुंचे पटना

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस  में टिकट बंटवारे को लेकर मचे घमासान और कार्यकताओं में उभरे असंतोष  को शांत करने पार्टी के कई बड़े नेता शनिवार की  रात पटना पहुंचे।

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ यहां पहुंचते ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरु कर दी है।

वेणुगोपाल के साथ दिल्ली से आने वाले नेताओं में बिहार चुनाव के वरीय पर्यवेक्षक अशोक गहलोत और स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन शामिल हैं।  तीनों वरीय नेताओं ने गर्दनीबाग स्थित पार्टी के वार रूम में शनिवार देर रात तक बैठक की।

जिला पर्यवेक्षकों से फीडबैक लिया। इससे पहले प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु के विरोध को देखते हुए डैमेज कंट्रोल की दिशा में पार्टी ने अविनाश पांडेय को चुनाव समन्वय की जिम्मेवारी सौंपी है। मालूम हो कि कांग्रेस  के कई वरिष्ठ नेताओं ने प्रदेश प्रभारी पर टिकट बेचने का आरोप लगाया है। एसआईसीसी के  चीफ नेशनल मीडिया कोऑर्डिनेटर संजीव सिंह को भी पार्टी ने पटना भेजा है।

टिकट बंटवारे के बाद हो रहे विरोध के चलते प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु सदाकत आश्रम नहीं जा रहे हैं। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और विधानमंडल दल नेता शकील अहमद खान खुद चुनाव लड़ रहे हैं। प्रदेश कमेटी अभी बनी नहीं हैं।

बिहार चुनाव के लिए बनाए गए वरीय पर्यवेक्षक भी कोई खास  रुचि नहीं ले रहे हैं। जबकि चुनाव में बमुश्किल अब दो हफ्ते का वक्त रह गया है। ऐसे में पार्टी नहीं चाहती है किसी तरह का कोई गतिरोध हो। इसीलिए डैमेज कंट्रोल की कवायद तेज कर  दी गई है।इससे पहले भी अशोक गहलोत पटना आए थे। लेकिन वह महागठबंधन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वापस चले गए थे।

गौरतलब  है कि टिकट से वंचित रहने वाले नेताओं ने पत्रकार वार्ता कर कहा है कि कांग्रेस में जो कुछ भी हुआ है उसका परिणाम भी पार्टी को ही भुगतना पड़ेगा। टिकट बंटवारे में धांधली के विरोध में आनंद माधव ने  रिसर्च सेल के चेयरमैन और प्रदेश प्रवक्ता पद से अपना इस्तीफा भी दे दिया है।  उनके साथ मंच पर पूर्व विधायक गजानंद शाही, छत्रपति यादव, नागेंद्र प्रसाद, रंजन सिंह, बच्चू प्रसाद, राजकुमार राजन, बंटी चौधरी और कई अन्य नेता भी थे।

उल्लेखनीय है कि छत्रपति यादव को इस बार खगड़िया से टिकट नहीं दिया गया है, जबकि वह इस सीट से विधायक थे। उनकी जगह एआईसीसी सचिव चंदन यादव चुनाव लड रहे हैं। 2020 में चंदन बेलदौर सीट से जदयू प्रत्याशी के आगे हार गए थे। आनंद माधव सुल्तानगंज से टिकट के प्रबल दावेदार थे। उन्होने वहां समाज के हर वर्ग के बेहतरी के लिए अच्छा काम  किया है।लेकिन उन्हे टिकट नही दिया गया।

उधर महागठबंधन के घटक दल राजद, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, भाकपा-माले और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने कई सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं। ऐसे में महागठबंधन के घटक दलों में तालमेल के अभाव में “फ्रेंडली फाइट” के हालात उत्पन्न हो गए हैं।

रनणीतिक विफलता के कारण कांग्रेस को सीटों के बंटवारे में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। 2020 में 70 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस के हिस्से में इस बार केवल 61 सीटें आईं। पार्टी को दो मौजूदा सीटें, महाराजगंज और जमालपुर भी गंवानी पड़ीं, जहां उसके सिटिंग विधायकों को टिकट नहीं मिला। उसे कोई बड़ी नई सीट भी नहीं मिली।

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