Home Bihar महागठबंधन टूट के कगार पर, राजद और कांग्रेस के बीच बढ़ी तल्खी, सहयोगी दलों ने एक-दूसरे की सीट पर उम्मीदवार उतारे

महागठबंधन टूट के कगार पर, राजद और कांग्रेस के बीच बढ़ी तल्खी, सहयोगी दलों ने एक-दूसरे की सीट पर उम्मीदवार उतारे

by Dayanand Roy

 

महेश कुमार सिन्हा

 

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में नाम वापसी और  दूसरे चरण  के लिए नामांकन  की अंतिम तिथि से एक दिन पहले तक महागठबंधन के घटक दलों के बीच  सीट बंटवारे पर  सहमति नहीं बन पाई।  सहयोगी दलों ने एक-दूसरे की सीट पर  उम्मीदवार उतार दिए हैं। सुलह के लिए हो रही कोशिश भी अब बंद  होती दिखाई  दे रही रही है और  महागठबंधन टूट के कगार पर  पहुंच गया है। कांग्रेस  के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम की सीट कुटुंबा पर राजद की ओर  से उम्मीदवार उतारे जाने के बाद  दोनों दलों में तनातनी चरम पर है।इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहामें छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।झामुमो ने चुनाव के बाद झारखंड में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ अपने गठबंधन की समीक्षा करने की भी बात कही है।

उधर एनडीए  ने जहां चुनाव प्रचार भी शुरु कर दिया है, वहीं महागठबंधन में अभी सीटों को लेकर खींचतान जारी है और स्थिति बिल्कुल अस्पष्ट है।

दरअसल  विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर खुली जंग छिड़ गई है, जिससे विपक्षी एकता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। महागठबंधन में कई विधानसभा सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ का सीन बन चुका है। इस बीच खबर है कि राजद और कांग्रेस के बीच बातचीत ठप हो चुकी है और कई जगहों पर आपसी लड़ाई बढ़ती जा रही है। जानकार इस स्थिति को फ्रेंडली फाइट(दोस्ताना संघर्ष) से अधिक की स्थिति यानी खुली जंग जैसा मान रहे हैं। बता दें कि वोटर अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने एक साथ मंच साझा किया था, जिससे मजबूत एकजुटता का संदेश गया था। लेकिन अब परिस्थिति बदल गई है। सीट बंटवारे पर बढ़ी तल्खी के कारण चुनावी प्रचार में भी दोनों नेताओं के बीच दूरी दिखाई दे सकती है। अभी तक संयुक्त रैलियों का कोई स्पष्ट एजेंडा सामने नहीं आया है। ऐसे में यह फूट चुनावी मोर्चे पर विपक्ष की एकजुटता को कमजोर कर रही है। भाकपा-माले और भाकपा जैसे सहयोगी दल भी कई सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुके हैं। राजद का मानना है कि कांग्रेस का विनिंग रिकॉर्ड कमजोर रहा है, इसलिए ज्यादा सीटें देना जोखिम भरा है। वहीं कांग्रेस बिहार में अपनी जड़ें मजबूत करने को बेताब है कम सीटें लेने को तैयार नहीं है। सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि टिकट बंटवारे को लेकर खींचतान महीनों से चल रही है। बार-बार बातचीत के बावजूद, कांग्रेस और राजद के बीच कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है।

इस बीच कांग्रेस के राज्य नेतृत्व ने अब स्थिति की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। कहा जा रहा है कि पार्टी केंद्रीय नेतृत्व से हस्तक्षेप की मांग कर सकती है। लेकिन मौजूदा हालात  में पहले चरण के मतदान से पहले गठबंधन में मतभेद खुलकर सामने आ गया है।  राजद और कांग्रेस के बीच की यह खींचतान सिर्फ सीट बंटवारे तक ही सीमित नहीं, बल्कि यह नेतृत्व और भरोसे की परीक्षा बन चुकी है। कांग्रेस और राजद, सहयोगी होने के बावजूद, कई सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ अपने-अपने उम्मीदवार उतार रहे हैं। इससे जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए असमंजस गहराता जा रहा है। कई निर्वाचन क्षेत्रों में, कांग्रेस और राजद के कार्यकर्ता असमंजस में हैं कि किसका समर्थन करें? कुछ लोग चिंतित हैं कि अपने ही गठबंधन सहयोगियों के ख़िलाफ प्रचार करने से उनके दीर्घकालिक रिश्ते खराब हो सकते हैं। दूसरों का मानना है कि नेतृत्व स्पष्टता प्रदान करने में विफल रहा है, जिससे वे हतोत्साहित हैं। सीटों पर फैसले में इतना विलंब कांग्रेस ने किया कि लालू यादव का  धैर्य भी जवाब दे गया। लालू ने सीट बंटवारे की घोषणा से पहले ही सिंबल बांटने की शुरुआत कर दी। नतीजा यह हुआ कि एक ही सीट पर महागठबंधन की पार्टियों ने भी उम्मीदवार उतारने शुरू कर दिए। कम से कम 10 सीटें ऐसी हैं, जहां सहयोगी दलों ने एक-दूसरे की सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या यह गठबंधन चुनाव से पहले खुद को एकजुट रख पाएगा-या फिर यह ‘महागठबंधन’ एक बार फिर महाविवाद बनकर रह जाएगा। इस परिस्थिति पर राजनीति के जानकार मानते हैं कि अगर यही स्थिति जारी रही तो एनडीए के लिए यह ‘विपक्षी बिखराव’ सबसे बड़ा वरदान साबित हो सकता है।

महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर जारी तनातनी के सवाल पर राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि महागठबंधन बिल्कुल एकजुट है। कहीं से कोई टकराव की स्थिति नही है। एनडीए के लोगों के द्वारा अफवाह फैलाया जा रहा है। नाराजगी तो एनडीए में है। यह चुनाव परिणाम के बाद पता चलेगा कि नीतीश कुमार को भाजपा ने मुख्यमंत्री नहीं बनाया। हमारे गठबंधन में कोई मतभेद नही है और तेजस्वी यादव की सरकार बनने जा रही है। चुनाव परिणाम का इंतजार करें।

वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि हम लोगों के बीच बातचीत जारी है। फैसला वक्त पर ले लिया जायेगा। कुछ सीटों को लेकर हम लोग आपस में विचार विमर्श कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महागठबंधन एकजुट है।  वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने कहा कि हम लोग काफी मजबूती के साथ चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। चुनाव परिणाम आने दीजिए ,महागठबंधन की सरकार बनेगी और मैं उपमुख्यमंत्री बनूंगा। उन्होंने कहा कि सभी मुद्दों पर बातचीत की जा रही है। कभी भी आप लोगों के सामने तस्वीर साफ कर दी जाएगी।

लेखक न्यूजवाणी के बिहार के संपादक हैं।

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